सूर्य में सभी ग्रहों के गुणों का समावेश है, तो भी कुछ कुछ ऐसे गुण हैं जो मात्र सूर्य में ही विद्यमान है। उन गुणों में एक है ‘महाउदार‘, ‘महादानी‘ होने का गुण। जन्मपत्री में यदि सूर्य ‘शुभ एवं शक्तिशाली‘ हो तो ये गुण जातक में भी विद्यमान होते हैं।
इसका उदाहरण महाभारत नामक ग्रंथ में सूर्य के मानस पुत्र महाप्रतापी कर्ण के जीवन से प्राप्त होता है। अपने काल में महादानी के रूप में प्रसिद्ध कर्ण ने यह जानते हुए भी कि वह अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण युद्ध में अपने परमशत्रु अर्जुन के हाथों पराजित हो जाएगा, इंद्रदेव की याचना करने पर उन्हें अपनी रक्षा हेतु प्राप्त ‘कुंडल एवं कवच‘ दान में दे दिए थे।
‘मर्यादा‘ एवं ‘गरिमा‘ भी ऐसे दो गुण हैं जिन्हें कोई दूसरा ग्रह सूर्य की भांति धारण नहीं कर सकता है। शपथ लेकर उसे निभाना सूर्य ही कर सकते हैं। जिस प्रकार सूर्य अपने पथ पर सदैव अडिग रहते हैं उसी प्रकार अपने दिए वचन पर भी अडिग रहते हैं, फिर चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो जाए।
और इसका उदाहरण हमें सूर्यवंशी प्रभु श्री राम के जीवन से भलीभांति मिल जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचद्र भगवान ने अपने पिता के वचन और कुल की मर्यादा की लाज रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। सूर्यवंशी होने के कारण ही प्रभु श्री राम सूर्य की ही भांती मर्यादा व गरिमा को आत्मिकरूप से धारण कर पाए।