हमारा सूर्य - ग्रहों का राजा !!!

Chapter No. 3 - सूर्य के गुण

 

सूर्य प्रकाश का स्रोत है और एक 'सात्विक ग्रह' माना जाता है। 'सत्व' प्रकृति का एक गुण है जिसका मुख्य उद्देश्य हमें प्रकृति के विकासोन्मुख पथ पर अग्रसर करना है। 'सतगुण' ही 'राजसिक''तामसिक' गुणों को संतुलित करता है। 'सतगुण' दया और करुणा जागृत करने वाला गुण है, जो सभी की सहायता को तत्पर रहता है। सूर्य भी राजा की ही भांति ऐसे ही गुणों से सुशोभित है जो दान करने को सदैव तैयार रहता है।

सूर्य एकमात्र ऐसा ग्रह है जो अपना प्रकाश स्वयं बनाता है। यही बात इसे बाकी ग्रहों के मुकाबले सबसे अधिक स्वतंत्र बनाती है। बाकी ग्रह तो सूर्य से प्राप्त प्रकाश को ही प्रकाशित करते हैं। सूर्य प्रभावित जातकों में स्वतंत्रता का गुण अधिकता में देखा जाता है।

सामान्यतः सूर्य को पिता कारक कहा गया है, और ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन सूर्य पर ही निर्भर है। दूसरे पिताओं की ही भांति सूर्य भी कभी-कभी क्रूर व कठोर हो जाते हैं, परंतु इस कठोरता के पीछे दया भाव छिपा है।

और जब अपने क्षेत्र की रक्षा करने की बात आती है, तो सूर्य एक निडर शेर की तरह है। सूर्य शेर के समान घुसपैठियों के खिलाफ सबसे आक्रामक कार्रवाई करता है। सूर्य राजा है और अपने राज्य का विस्तार करना उसकी प्रकृति है और वह अपने क्षेत्र को जी जान से प्यार करता है। किसी भी तरह का अवैध कबज़ा या घुसपैठ सूर्य को हिंसक और विनाशकारी बना सकता है।

लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि राजा अपने गुस्से को एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ाते हैं। सूर्य सबसे परिष्कृत ऊर्जा है, जो कूटनीति को 'युद्ध की रणनीति' के रूप में प्रयोग करता है। वह मंगल की तरह नहीं है, जो राजा की सेना का सैनापति है, और जो बदला पूरा होने तक अपने दिल में उस आग का जलाए रहता है।

 
Our Ch. Astrologer

Contact Us - About Us - Privacy Policy - Disclaimer - Terms & Conditions - Cancellation & Refund - Shipping & Delivery

© Shashi Kapoor (Delhi, India) - 2025, All rights reserved
Site best viewed in 800 X 600 resolution
Free Web Page Hit Counter